संस्कार रंग टोली (थियेटर इन एजुकेशन कंपनी) की स्थापना 16 अक्तूबर, 1989 में की गई और यह देश में रंगमंच शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत है।
संस्कार रंग टोली में अभिनेता-शिक्षक बच्चों के साथ और बच्चों के लिए प्रस्तुतियां बनाते हैं। टाई कंपनी का प्रमुख फोकस सर्जनात्मक पाठ्यक्रम पर आधारित और विद्यालय में प्रतिभागिता करने वाले नाटकों पर होता है जो कि विशेषकर विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के लिए तैयार किए जाते हैं। नाटकों का प्रमुख उद्देश्य एक ऐसा माहौल तैयार करना होता है जिसमें कि बच्चे प्रश्न पूछें, निर्णय लें, और अपनी जागरूकता के मुताबिक बृहत सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अपना पसंद-नापसंद बता सकें। टाई कंपनी ने दिल्ली व देश के अन्य भागों में 26 नाटकों के 800 से भी अधिक नाटकों के प्रदर्शन किए हैं। लगभग 5.5 लाख से भी अधिक बच्चों ने इन नाटकों को देखा है। इनमें कॉलेज के छात्र, शिक्षक, माता-पिता और रंगमंच प्रेमी अलग से शामिल हैं।
अब्दुल लतीफ़ ख़टाना ने 1986 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से अभिनय में विशेषज्ञता के साथ स्नातक उपाधि प्राप्त की है। आप राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मंचित कई नाटकों की संकल्पना, लेखन व निर्देशन करने के अलावा अभिनय पर अनेक कार्यशालाओं का संचालन कर चुके हैं। आप अदबी संगत (कश्मीर) तथा नाट्य संस्था किरदार के संस्थापक हैं।
आप संस्कार रंग टोली के संस्थापक अभिनेता-शिक्षक थे और वर्तमान में उसके प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं। आपको टोली के पहले राष्ट्रीय रंगमंच उत्सव ‘जश्ने-बचपन’ व उसके बाद हुए बाल लोक कलाकारों के उत्सव ‘बाल संगम’ की संकल्पना और आयोजन का श्रेय जाता है।
श्री ख़टाना ने स्कूलों, संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों के साथ बड़े पैमाने में कार्य किया है और बच्चों के लिए रंगमंच की आवश्यकता को कई स्तरों पर रेखांकित किया है। आपने एनसीईआरटी के लिए 1 से 12वीं कक्षा के बच्चों के लिए रंगमंच संबंधी पाठ्यक्रम तैयार करने में विशेष योगदान दिया है।
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