रंगमंडल
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का रंगमंडल मात्र चार कलाकारों श्री रामामूर्ति, सुश्री मीना विलियम्स, सुश्री सुधा शिवपुरी और श्री ओम शिवपुरी के साथ वर्ष 1964 में आरंभ हुआ। इसका उद्देश्य जहाँ एक ओर पेशेवर रंगमंच को स्थापित करना था वहीं दूसरी ओर नए-नए प्रयोगों को जारी रखना भी था। वर्ष 1976 में रंगमंडल एक पूर्ण इकाई बना जिसके नियमित नाट्य दल में आठ नए कलाकार शामिल हुए। रंगमंच और सिनेमा को समर्पित स्व. श्री मनोहर सिंह रंगमंडल के प्रथम प्रमुख थे।
रंगमंडल ने ऐसे विभिन्न नाट्यकारों और निर्देशकों के कार्यों को प्रस्तुत किया जो इसके साथ समय-समय पर जुड़े रहे। रंगमंडल का उद्देश्य विद्यालय के स्नातकों को उनके शैक्षिक हित के लिए और साथ ही नाटकों को पेशेवर रूप में प्रस्तुत करने के लिए मंच उपलब्ध कराना था। समय के साथ-साथ समकालीन अैर आधुनिक नाटकों पर कार्य करने और नियमित रूप से प्रायोगिक कार्यों को शामिल करने वाला यह रंगमंडल रा.ना.वि. का एक प्रमुख संस्थान बन गया। प्रस्तुतियों के अतिरिक्त यह गर्मियों में अपना स्वयं का उत्सव भी आयोजित करता है जिसमें नई प्रस्तुतियों को शामिल कर पूर्व मंचित प्रस्तुतियों के साथ मंचित किया जाता है।
दिल्ली में नियमित रूप से नाटकों का मंचन करने के अतिरिक्त रंगमंडल देश-विदेश के विभिन्न भागों में दौरे कर नाटक प्रस्तुत करता है। वर्तमान में रंगमंडल में एक रंगमंडल प्रमुख, श्री सुरेश शर्मा और 20 नियमित कलाकार हैं। इन नियमित कलाकारों को कई अनियमित कलाकारों का पूर्ण सहयोग प्राप्त रहता है जो अधिकतर रा.ना.वि. के स्नातक ही हैं, और इन्हें प्रशासनिक और तकनीकी स्टाफ की टीम सहयोग करती है। अब तक रंगमंडल लगभग हर प्रकार की नाट्य-प्रस्तुतियां कर चुका है जिनमें शैलीबद्ध संगीतमय प्रस्तुतियों से लेकर समकालीन यथार्थवादी भारतीय नाटक, विदेशी नाटकों के अनुवाद व रूपांतरण भी शामिल हैं। रंगमंडल के कई कलाकार रंगमंच, सिनेमा और टी.वी. के जाने-माने कलाकारों के रूप में उभरे हैं। रंगमंडल देश-भर का व्यापक दौरा कर चुका है और जर्मनी, पोलैंड, ब्रिटेन, नेपाल, मॉरिशस, चीन और बांग्लादेश की कई सफल यात्राएं भी कर चुका है।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का रंगमंडल निम्न स्थान पर है : 1, बहावलपुर हाउस, भगवानदास रोड, नई दिल्ली – 110001 प्रस्तुतियों के अतिरिक्त यह गर्मियों में अपना स्वयं का उत्सव भी आयोजित करता है जिसमें नई प्रस्तुतियों को शामिल कर पूर्व मंचित प्रस्तुतियों के साथ मंचित किया जाता है। यह भारत और विदेश में व्यापक रूप से दौरे कर अपने नाटकों की प्रस्तुति देता है।
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