जश्नेबचपन समारोह में देशभर से विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली रंगमंडलियां जो बच्चों के साथ और बच्चों के लिए कार्य करती है, के कार्यों को दर्शाया जाता है। प्रख्यात और उभरते हुए रंग निर्देशक और प्रतिष्ठित रंगमंडलियां, जो बच्चों के लिए और बच्चों के साथ कार्य करती हैं, अपनी पूर्ण प्रस्तुति के साथ इस उत्सव में प्रतिभागिता करती है।
प्रत्येक दूसरे वर्ष संस्कार रंग टोली एक राष्ट्रीय स्तर का उत्सव आयोजित करती है, जिसका स्वरूप मूलत: एक सांस्कृतिक मेले की तरह होता है और उद्देश्य शैक्षिक। बाल संगम पारंपरिक कला परिवारों, गुरु-शिष्य परंपरा और संस्थानों के बच्चों द्वारा विभिन्न पारंपरिक लोक कलाओं के प्रदर्शन का एक संगम है। बाल संगम का प्रमुख उद्देश्य बच्चों को अपनी पारंपरिक लोक कलाओं से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि आज के इस तेजी से बदलते युग में हमारी सांस्कृतिक धरोहर संरक्षित रह पाए। अब तक टी.आइ.ई. कंपनी ने 40 से भी अधिक ऐसी मंडलियां जो बाल कलाकारों द्वारा लोक प्रस्तुतियों के लिए जानी जाती हैं, को आमंत्रित किया है बच्चों द्वारा विभिन्न लोक एवं प्रदर्शनकारी परंपराओं के एक दृश्यात्मक और अनूठे संगम की प्रस्तुति के साथ-साथ उत्सव में ऑरिगेमी, मिट्टी के बर्तन, कठपुतली कला, आदिवासी शिल्प, रिसाइक्लिंग इत्यादि जैसी गतिविधियों की कला और शिल्प की कार्यशालाएं शामिल हैं।
बच्चों के लिए ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशालाओं की सफलता और लोकप्रियता को देखते हुए रा.ना.वि. की संस्कार रंग टोली ने रविवारीय क्लब शुरु करने का निश्चय किया जो कि मूलत: ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशालाओं का ही विस्तार है। इस क्लब में स्वयं तैयार करने की प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न आयु वर्ग के बच्चे मूल रूप से नाटक को स्वयं तैयार करते हैं। इस क्लब में बच्चे मिल-जुलकर नाटक का विषय चुनते हैं और सृजनात्मक रूप से इस पर कार्य करने के लिए आगे बढ़ते हैं। वर्ष 2002-2003 के दौरान शनिवारीय क्लब रविवार दिवसों में शिफ्ट हो गया और अब इसे संडे क्लब के नाम से जाना जाता है। प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दो भागों में दिया जाता है। भाग- I में नाट्य लेखन, तत्कालिक प्रक्रिया इत्यादि शामिल रहती हैं जिससे कि बच्चों को नाटक तैयार करने में सहायता मिल सके। संडे क्लब-I में प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरांत बच्चे संडे क्लब- II की ओर बढ़ते हैं जहां उनका रंगमंच से परिचय एक विषय के रूप में होता है। प्रशिक्षण मिलने के फलस्वरूप क्लब में नाटक तैयार किए जाते हैं जिन्हें अभिभावकों और साथ ही व्यापक जन समूह के समक्ष मंचित किया जाता है।
@ 2023 नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा. सभी अधिकार, डिजाइन एवं विकसित सुरक्षित by IT Magic.com.